सोमवार, 30 दिसंबर 2013

.......इसलिए हम ऐसे बदलाव के खिलाफ हैं..!...!

कार्मिक मंत्रालय के एक फैसले से राज्य लोकसावा के अधिकारियों को भारी मायूसी हुई है, अब उन्हें आईएएस,आईपीएस में प्रोमोशन के लिए चार चरण की परीक्षा देनी पड़ेगी. वहीं इस फैसले का राज्य लोकसेवा के अधिकारियों ने जोरदार विरोध किया है.

 अभी तक के नियमों के अनुसार राज्य लोकसावा के अधिकारियों की गोपनीयता रिपोर्ट और वरिष्ठता के आधार पर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आदि कैटेग्री में प्रोमोशन मिल जाया करता था. पर नये प्रावधानों के तहत इन शर्तों को कार्मिक मंत्रालय ने हटा दिया है. इस कारण राज्य लोकसावा के अधिकारियों को भारी मायूसी हुई है.

हालांकि राज्य सरकारों ने नये प्रावधानों का काफी विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद कार्मिक मंत्रालय ने राज्य सरकारों की एक न सुनी और नये नियम लागू कर दिया है. नए प्रावधानों के तहत राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारियों को तीनों अखिल भारतीय सेवाओं में स्थान पाने के लिए चार स्तरीय परीक्षा प्रक्रिया से गुजरना होगा.

कार्मिक मंत्रालय का मानना है कि अभी तक उच्चाधिकारियों की कृपा और सिफारिशों की भूमिका काफी अहम होती थी. इस लिए कई होनहार अधिकारी प्रोमोशन के लाभ से वंचित रह जाते थे. लेकिन बदले नियमों के मुताबिक ग्रुप ‘ए’ में आठ वर्षो की सेवा देने वाले वैसे अधिकारी जिनकी आयु 54 वर्ष से कम हो, अखिल भारतीय सेवाओं में स्थान पाने के लिए आयोजित परीक्षा में बैठने के योग्य होंगे.

 नये बदलावों के तहत परीक्षा के लिए प्रयासों पर तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन अधिकतम उम्र सीमा को कम करने का अधिकार संबंधित अधिकारियों के पास होगा. हालांकि कार्मिक मंत्रालय ने यह विक्लप खुला रखा है कि नई व्यवस्था लागू होने के तीन वर्ष बाद इस नियम की समीक्षा की जा सकेगी.

 परीक्षा की रूपरेखा

 चार चरणों में आयोजित होने वाली परीक्षा के लिए एक हजार अंक निर्धारित किये गए हैं. लिखित परीक्षा का 30 फीसद, सेवाकाल व एसीआर का 25-25 फीसद और साक्षात्कार के लिए 20 फीसद मानक तय किया गया है.

 राज्य लोकसेवा के अधिकारियों को प्रोन्नति हासिल करने के लिए लिखित परीक्षा के तहत दो पेपर देने होंगे. पहले प्रश्नपत्र में जहां मानसिक योग्यता की जांच की जायेगी, वहीं दूसरे पेपर में सामान्य अध्ययन और राज्य आधारित (जिस राज्य से अधिकारी होंगे) प्रश्न होंगे.

दूसरे चरण में सेवा काल का आकलन किया जाएगा इसमें यह देखा जायेगा कि आपका सेवा काल कितने वर्षों का है और कैसा है,

जबकि तीसरे चरण में अफसरों के एसीआर का विश्लेषण होगा. हालांकि सीआर के विश्लेषण की जवाबदेही वरिष्ठ अधिकारियों की ही होगा.

इसी प्रकार अंतिम और चौथे चरण में चरण में उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया जायेगा.

 हालांकि इस तरह की परीक्षा का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का मानना  है कि 24-25 सालों से पढ़ने लिखने की आदत छोड़ चुके अधिकारियों की लिखित परीक्षा लेना कतई उचित नहीं है.

राज्य प्रशासनिक सेवा के  अधिकारियों का मानना  है  कि बदली स्थिति में राज्य सेवा के अधिकारी काम पर कम ध्यान देंगे और सेवाकाल में पढ़ाई लिखाई पर ध्यान लगायेंगे जिससे प्रशासनिक कामों में काफी प्रभाव पड़ेगा.
.....इसलिए हम ऐसे बदलाव के खिलाफ हैं.!...!

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

पी सी एस से आइ ए एस बनने के नियमों में बदलाव

भारतीय सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने राज्य सेवाओं से अखिल भारतीय सेवाओं में प्रोन्नति के लिये लागू वर्ततान नियमों में बदलाव कर दिया है

अब तक लागू नियमों के अंतरगत अखिल भारतीय सेवा में प्रोन्नति करने के लिये प्रान्तीय सेवा के अधिकारी की वरिष्ठता और वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट ए सी आर को आधार माना जाता था बशर्ते उसकी उम्र 54 वर्ष की हो यानी प्रोन्नति के उपरांत उसे अखिल भारतीय सेवा में न्यूनतम 6 वर्ष का कार्यकाल अवश्य मिले।
बदले हुये नियमों के अनुसार अब प्रोन्नति से पहले संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा और साक्षातकार से भी होकर गुजरना होगा। समूचे चयन का 30 प्रतिशत लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर 20 प्रतिशत साक्षातकार के आधार पर और शेष 50 प्रतिशत में वरिष्ठता और वार्षिक गोपनीय आख्या का समान आधार होगा।

भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा लागू व्यवस्था का अर्थ यह होगा कि प्रान्तीय सिविल सेवा के पी सी एस अधिकारियों को अखिल भारतीय आइ ए ऐस सेवा में प्रोन्नत होने से पूर्व लिखित परीक्षा और साक्षातकार से गुजरना होगा।

उत्तर प्रदेश तमिलनाडु सहित अनेक राज्यों ने भारत सरकार के द्वारा प्रस्तावित इस व्यवस्था के विरोध में मत दिया था परन्तु केन्द्र सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ माह से पूर्व इस विवादित प्राविधान को लागू करने का निर्णय क्यों लिया यह अवश्य ही विचारणीय है।

सामान्यतः उत्तर प्रदेश में एक पी सी एस अधिकारी को प्रोन्नति के माध्यम से आइ ए एस बनने में पच्चीस से तीस वर्ष का समय लगता है।

अब सोचिये कि कैसा लगेगा जब जीवन के छठे दशक में जब किसी अधिकारी को अपने बच्चों के भविष्य के प्रति जागरूक और चिंतित होना चाहिये तब वह स्वयं संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहा होगा ?

जब एक बार कोई अधिकारी स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध कर चुका है तो सेवा के उत्तरार्ध में पुनः लिखित परीक्षा और साक्षातकार के तैयार करने का औतित्य कम से कम मेरी तो समझ में नहीं आता।

इस संबंध में आपकी क्या राय है दोस्तों ?

सोमवार, 25 नवंबर 2013

''क्या यही है सिस्टम?''



अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता था जब एक राजस्व अधिकारी (तहसीलदार) की हत्या कर दी गयी थी यह हत्या खनन माफिया के इशारे पर की गयी अथवा नहीं यह तय होता की बीते कल उसी शहर में अपराधियों के विरूद्ध अपनी सख्ती के लिये जाने जाने वाले डिप्टी जेलर की भी हत्या कर दी गयी। यह संयोग था कि बीते कल प्रदेश के मखिया उस शहर में थे जहां उस जांबाज अफसर को अपनी अंतिम यात्रा पूरी करनी थी परन्तु वे उस जांबाज अफसर के घर तक नहीं गये । इसे खेदजनक ही कहा जायेगा ।

''क्या यही है सिस्टम?''

मच्छर आवाज़ उठाता है 
‘सिस्टम’ ताली बजाकर मार देता है 
और ‘मीडिया’ को दिखाता है भूखे मच्छर का खून 
अपना खून कहकर 

मच्छर बंदूक उठाते हैं
‘सिस्टम’ ‘मलेरिया’ ‘मलेरिया’ चिल्लाता है
और सारे घर में जहर फैला देता है

अंग बागी हो जाते हैं
‘सिस्टम’ सड़न पैदा होने का डर दिखालाता है
बागी अंग काटकर जला दिए जाते हैं
उनकी जगह तुरंत उग आते हैं नये अंग

‘सिस्टम’ के पास नहीं है खून बनाने वाली मज्जा
जिंदा रहने के लिए वो पीता है खून
जिसे हम ‘डोनेट’ करते हैं अपनी मर्जी से

- धर्मेन्द्र कुमार सिंह से साभार

 अग्निधर्मा कवि की पंक्तियाँ ...
दोहे चौपाई गीत ग़ज़ल छंद मल्हार न होते तो ...
दुनियाँ सूनी सूनी होती हम फनकार न होते तो ...
एक जाम में बिक जाते हैं जाने कितने खबरनवीस ...
सच को कौन कफ़न पहनाता ये अख़बार न होते तो ...
हम हरगिज़ तलवार न होते आप कटार न होते तो
...और इसके बाद उन्होंने ...
कभी कभी जी करता है पी लूँ चंबल का पानी
 ...जैसा भी बहुत कहा है ...

- अग्निवेश शुक्ल  से साभार

रविवार, 20 जनवरी 2013

संकल्प दिवस के बीस दिन पूरे

सामान्यतः हर नये वर्ष का पहला दिवस हममें से अधिकांश के लिये नये संकल्पों का दिवस होता है। और जनवरी का दूसरा सप्ताह आते आते नववर्ष के प्रथम दिवस को लिये गये संकल्प की धार भोथरी हो चुकी होती है। एक ऐसा ही संकल्प इस नये वर्ष पर मैने भी लिया परन्तु इसकी धार समय के साथ कुन्द न हो इसके लिये यह संकल्प सामूहिक रूप से लिया गया।
हरदोई जनपद में आने के बाद मुझे एक पदेन जिम्मेदारी का निर्वहन करना पडा वह थी महात्मा गांधी जन कल्याण समिति के सचिव पद की जिम्मेदारी। यह उत्तरदायित्व मेरे सभी पूर्वाधिकारियों के लिये एक औपचारिकता भर रही है। यह समिति हरदोई में गांधी की स्मृति में निर्मित गांधी भवन की देख रेख का कार्य करती है।
इससे जुडा ऐतिहासिक तथ्य यह है कि सन 1928 में साइमन कमीशन के भारत आने के बाद इसका विरोध करने के लिये ने महात्मा गांधी समूचे भारत में यात्रा कर जनजागरण किया था। इसी दौरान 11 अक्टूबर 1929 को गांधी जी ने हरदोई का भी भ्रमण किया था। सभी वर्गों के व्यक्तियों द्वारा महात्मा गांधी जी का स्वागत किया तथा उन्होंने टाउन हाल में 4000 से अधिक व्यक्तियों की जनसभा को संबोधित किया। सभा के समापन पर खद्दर के कुछ बढिया कपडें 296 रूपये में नीलाम किये गये और यह धनराशि गांधी जी को भेट की गयी। (संदर्भ:एच आर नेबिल संपादित हरदोई गजेटियर पृष्ठ 56)
स्वतंत्रता के बाद सम्पूर्ण भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी की स्मृति को संजोने के लिए के लिऐ उनके भृमण स्थलों पर स्मारकों का निर्माण किया गया जिसमें हरदोई में गांधी भवन का निर्माण हुआ । इस भवन का रख रखाव महात्मा गांधी जनकल्याण समिति द्वारा किया जाता है।
2013 के नववर्ष पर समिति की ओर से पहल करते हुये मैने इस परिसर में एक प्रार्थना कक्ष स्थापित कराया है और सर्वोदय आश्रम टडियांवा के सहयोग से सर्वधर्म प्रार्थना का नियमित आरंभ कराया है। यह प्रार्थना कक्ष महात्मा जी की विश्राम स्थली रहे कौसानी में स्थापित अनासक्ति आश्रम के समरूप है तथा कौसानी में संचालित नियमित सर्वधर्म प्रार्थना के अनुरूप इस परिसर में भी नियमित रूप से सर्वधर्म प्रार्थना की जा रही है ।
ईश्वर से प्रार्थना है कि इस वर्ष नववर्ष पर सर्वोदय आश्रम के साथ मिलकर मैने जिस संकल्प पर अमल करना चाहा है वह समय की शिला पर दिनों दिन पडने वाली धूल में धुंधली न पडें अपितु और अधिक प्रगाढ होती जाय। आमीन।

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